Sawan Somvar Vrat Katha

सावन के महीने की भोलेनाथ की कहानी
sawan somvar vrat katha

Sawan Somvar Vrat Katha

नमस्कार दोस्तों आपके माता पिता,गुरुदेव,भगवन और इष्ट देव सभी को मेरा प्रणाम
आज इस पोस्ट में हम सावन महीने की भोलेनाथ की पावन कथा सुनाएंगे जिसे सावन महीने में सुनने से आपको
भोलेनाथ की असीम कृपा प्राप्त होगी


एक समय की बात है एक गाँव में एक बूढ़ी अम्मा अपने बेटे के साथ रहती थी माँ बेटे मेहनत मजदूरी करके अपना गुजरा करते थे एक बार बूढ़ी अम्मा ने मन में सोचा कि उसके पुत्र का अब विवाह कर देना चाहिए तो उसने एक सुशील कन्या के साथ अपने बेटे का विवाह कर दिया उसकी बहु बहुत संस्कारी थी वह रोज सुबह जल्दी उठ कर घर की साफ़ सफाई कर स्नान आदि करती और भोलेनाथ की पूजा करती

कुछ समय बाद सावन का महीना आया बूढ़ी अम्मा की बहु भोलेनाथ की अनन्य भक्त थी उसके मन में विचार आया कि मंदिर जाकर शिवलिंग की पूजा करे उसने अपनी सास से कहा कि माताजी सावन का महीना शुरू हो गया है मैं शिव मंदिर जाकर भोलेनाथ की पूजा करना चाहती हूँ बूढ़ी अम्मा ने कहा कि घर पर रहकर ही पूजा कर लो मंदिर जाकर समय ख़राब होगा इतने समय में घर का सारा काम हो जायेगा यह सुनकर बहु उदास हो गयी और घर के काम में लग गयी उस दिन उसने कुछ भी अन्न जल ग्रहण नहीं किया


अगले दिन बहु कुए से जल लाने गयी रास्ते में उसने देखा कि दो लड़कियां पूजा की थाली लगाकर मंदिर की तरफ जा रही थी उसने उन लड़कियों से पूछा कि तुम कहाँ जा रही हो तब लड़कियां बोली सावन का महीना शुरू हो गया है हम सब भोलेनाथ की पूजा करने मंदिर जा रही है यह सुनकर बहु उदास हो गयी  लड़कियों ने पूछा आप क्यों उदास हो गयी तब वह बोली कि भोलेनाथ मेरे आराध्य देव है और मेरी सास ने मुझे मंदिर जाकर पूजा करने से मना कर दिया यह सुन लड़कियां बोली आप चिंता मत करो आप रोज इस समय आकर हमारे साथ मंदिर चल कर पूजा कर लिया करो तब बहु बोली मेरे पास तो पूजा का सामान ही नहीं है और घर से मैं ला नहीं सकती तब लड़कियों ने कहा कोई बात नहीं आप हमारे पूजा के सामान से पूजा कर लेना यह सुनकर वह बहुत खुश हुई 




अब वह रोज लड़कियों के साथ मंदिर जाती और बड़े भक्ति भाव से महादेव की  पूजा करती और कहती कि हे भोलेनाथ मैं मेरी सास को बिना बताये यहाँ आती हूँ मुझे क्षमा कर देना ऐसे ही पूरा  सावन का महीना बीत गया अब आखिरी दिन उसने सोचा कि मैंने पुरे महीने इन लड़कियों के सामान से पूजा की है आज मैं खुद का कुछ चढ़ाउंगी तब उसने अपनी नाक से नथ निकाली और उसे पानी से धोकर भोलेनाथ को चढ़ा दिया 

अब वह जब घर आयी तो वह सास से नजर बचा कर इधर उधर घूमने लगी ऐसे ही दोपहर हो गयी तब अचानक सास की नजर उस पर पड़ी तो सास ने पूछा तेरी नथ कहा गयी तब वह बोली पता नहीं शायद कही गिर गयी होगी
तब सास ने पूछा तू कहा गयी थी वह बोली कि सुबह पानी भरने गयी थी तब तो थी उसके बाद में उपले थापने गयी थी तब सास बोली चलो वही पर देखते है अब दोनों सास बहु उपलों के पास आये और उन्हें तोड़ कर देखने लगे लेकिन ये क्या दोनों उपलों में सोने की नथ निकली सास बोली नथ तो एक थी ये दो कैसे हो गयी अब एक एक कर उसने सारे उपले तोड़ दिए और उन सब मे से एक एक नथ निकली तब बहु से पूछा ये क्या मांजरा है तब बहु ने सास से क्षमा मांगते हुए सारी बात बता दी और कहा ये भोलेनाथ का आशीर्वाद है आज मैंने उन्हें अपनी नथ अर्पित की और उन्होंने इतनी कृपा कर दी




तब सास बोली कि सावन माह में स्नान दान तप का इतना महत्व है तो अगले साल हम दोनों मिलकर शिवलिंग पर जल चढ़ाएंगे और पूजा पाठ करेंगे अगले सावन पर दोनों ने नियम से सावन का स्न्नान किया पूजा पाठ जप तप किया भोलेनाथ की कृपा से बूढ़ी अम्मा का घर अन्न धन से भर गया बहु को एक सुन्दर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई


हे भोलेनाथ जैसी कृपा आपने बूढ़ी अम्मा और उसकी बहु पर की वैसे ही इस कहानी को कहने वाले आपकी पूजा पाठ करने वाले सभी पर करना सबके भंडार भरना
जय भोलेनाथ ॐ नमः शिवायः

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