भादवे की चौथ की कहानी
संकष्टी चतुर्थी व्रत
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नमस्कार दोस्तों आपके माता पिता,गुरुदेव,भगवन और इष्ट देव सभी को मेरा प्रणाम
आज हम आपको भादवे महीने की चौथ यानी संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा सुनाएंगे जिसे चौथ के व्रत के दिन सुनने से चौथ माता आपको अखंड सुहाग प्रदान करती है
एक सास और बहू थी और उसका बेटा विदेश में नौकरी करने गया था सास बहू को लाड से रखती एक दिन सास काम से गांव गई तो बहू से बोली की बहू चूल्हे की आंच बुझने मत देना देना और सास गांव चली गई और चूल्हे की आग बुझ गई बहू डर के मारे पड़ोस में आंच लेने गई तो पड़ोस की औरतें कहानी सुन रही थी बहू देख कर बोली कि आप क्या कर रही हो तो औरतें बोली हम चौथ माता की कहानी सुन रही है तो बहू बोली कि इससे क्या होता है औरतें बोली की चौथ माता अन्न धन लक्ष्मी बेटे पोते सब देती है
पति परदेश गया वापस आ जाता है तू भी किया कर बहू बोली मैं कैसे करूं मेरी सास तीन टाइम रोटी देती है औरतें बोली कि एक टाइम की गाय के बछड़े को दे दिया कर दूसरे टाइम की औठाणे में गाड़ दिया कर तीसरे टाइम की अपने लिए रख लिया कर और चूरमा बनाकर जोत देखकर चौथ माता के भोग लगाकर चांद को अर्घ देकर खाना खाना बहू बोली कि ठीक है ऐसा कहकर वह चली गई
आगे चौथ का व्रत आया तो उसने वैसे ही व्रत किया चौथ माता ने सोचा अगर सतयुग में परिणाम नहीं देंगे तो कलयुग में कौन मानेगा चौथ माता सपने में पति को बोली कि घर जा तुझे सब याद करते हैं वह एक सेठ के यहां मुनीम का काम करता था तो बोला कि लेने वाले लेने आएंगे देने वाले देने तो कैसे जाऊं चौथ माता ने कहा कि कल घी का दीपक जला कर बैठ जाना देने वाले दे जाएंगे और लेने वाले ले जाएंगे पति ने ठीक वैसा ही किया और सेठ से हिसाब करके घर आ गया
रास्ते में सांप मिला बोला मैं तुझे खाऊंगा उसने कहा मैं मेरे घर वालों से मिल लूं तो फिर खा लेना वह घर आ गया पत्नी ने दरवाजा खोला पर वह किसी से बोला नहीं वह जाकर सो गया उस दिन चौथ व्रत था पत्नी ने व्रत किया वो जोत देखी रही थी वहीं पर पट्टे पर जोत का सामान आंखें चूरमा दीपक सब रखा था वह सांप घर पर आ गया और ऊपर कमरे में चला गया चौथ माता ने सोचा यह इसको खा जाएगा कुछ करना चाहिए तो दीपक की ढाल बन गई आंखों की तलवार बन गई और सांप को काटकर ढाल से ढक दिया पति यह सब देख रहा था
सांप के मर जाने के बाद पत्नी से बोला तो पत्नी बोली आप तो मुझसे बोले ही नहीं तो पति बोला कि क्या बोलता यह देख मेरा काल साथ आया था वह मर गया दोनों ने आपस में खूब बातें की सुबह उठा तो मां से बोला कि मां मेरे जाने के बाद कुछ धर्म-कर्म करती थी क्या मां बोली नहीं बेटा तू था तब तो फिर भी मंदिर चली जाती थी तेरे जाने के बाद तो कुछ भी नहीं किया फिर उसने पूछा कि बहू से पूछो मां बोली यह क्या करेगी इसको तो मैं तीन समय खाना देती थी बहु इशारे से बोली करती थी सास बोली क्या करती थी बोली मैं चौथ का व्रत करती थी क्या सबूत है वह बोली कि बछड़े से पूछ लो बछड़ा ने मुँह खोला तो मुंह में से हीरे मोती झड़ने लगे फिर बोली औठाणे में देख लो औठाणे को खोद कर देखा तो रोटी की जगह सोने-चांदी हो गया तीसरा बनिए से पूछ लो बनिए की बात भी सही निकली
सास बोली चौथ माता ऐसी है बहू बोली हां चौथ माता सबका भला करती है आपके पति को लंबी उम्र प्रदान करती है हे चौथ माता जिस प्रकार आपने उस सास और बहू को उसके बेटे और पति से मिलाया उसकी रक्षा की वैसे ही आप का व्रत करने वाली और आप की विधि पूर्वक पूजा करने वाले सभी पर अपनी कृपा करना उनकी सभी कामनाएं पूरी करना बोलो चौथ माता की जय
धन्यवाद।
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